महा संजीवनी विद्या
हमारे जीवन में दो तरह की समस्याएं होती हैं। शरीर से सम्बन्धित समस्याएं , जैसे रोग , शोक, चिन्ता, मानसिक तनाव आदि। दूसरी समस्या कामनापूर्ति में बाधा। यह ठीक है कि भाग्य इसका एक प्रबल कारण है; परन्तु इससे भी बड़ा कारण है, हमारी जीवन शैली। आध्यात्म कहता है कि जीवन शैली को बदल कर हम अपनी कठिन समस्याओं पर भी विजय प्राप्त कर सकते है।
परन्तु , आज जीवन शैली को बदलना इतना सरल नहीं है। हम हवा-पानी-भोजन में घुले रसायनों को बदल नहीं सकते। भौतिकता के इस युग में दैनिक आचरण में भी परिवर्तन नहीं कर सकते। न ही भावनात्मक स्तर पर प्रसारित हो रही विकृतियों से बच सकते हैं। फिर मनुष्य अपनी समस्याओं और दुखों से मुक्ति किस प्रकार पा सकता है?
तन्त्र का सूत्र कहता है – स्वयं अपने आप को मजबूत करके।
ब्रह्म विद्या का सूत्र कहता है – शरीर और मन को संशोधित करके।
तत्व विज्ञान कहता है – शरीर के ऊर्जा चक्र को प्रतिरोधी बनाकर ।
इन तीनो कथनों का अर्थ एक ही है। हमारे शरीर के ऊर्जा चक्रों से ही हमारा ऊर्जा समीकरण बनता है। इसी से शरीर और मन, प्रवृति और गुणों का विकास होता है। इनको संशोधित करके हम अपनी शारीरिक , मानसिक और कामनाजन्य तीनों समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
अब प्रश्न उठता है कि इसका सत्य क्या है? क्या हमें इसके लिए वैरागी-सन्यासी बनान पड़ेगा? उपवास-व्रत रखना होगा? दैनिक आचार व्यवहार में कठोर नियमों का पालन करना पड़ेगा।
तांत्रिक सूत्रों के अनुसार नहीं। मच्छरों को मारने के लिए जितने उपाय किये जाते है; उनमें उसके प्रतिरोधी तत्व उत्पन्न हो जाते हैं। इसके लिए उसे अपने किसी व्यवहार में परिवर्तन नही करना पड़ता और न ही रक्त पीने को छोड़ना पड़ता है। प्रकृति के हर जीव परिस्थितियों और वातावरण के अनुरूप प्रतिरोधी शक्तियों को विकसित कर लेते है। यह परमात्मा का प्राकृतिक वरदान है। हम भी इसे सरलता से प्राप्त कर सकते है।
इस विषय पर धर्मालय एक कोर्स तैयार कर रहा है;जो एक सी.डी. में उपलब्ध होगा। यह एक आश्चर्यजनक रूप से चमत्कारी कोर्स है। कई-कई बार कुछ व्यक्तियों पर परीक्षण किया गया है। इसे कोई भी स्त्री/पुरुष/बच्चा.बूढा कर सकता है। उसे प्रातः – रात्रि- केवल आधा –आधा घंटा तन्त्र की विशेष अत्यंत सरल मुद्राओं को 2-2 मिनट तक करना होगा और केवल ५ मिनट ध्यान की विशेष मुद्रा में बैठना होगा। यह एक अत्यंत सरल व्यवस्था है।एक हफ्ते में ही प्रत्यक्ष चमत्कारी लाभ का अनुभव होने लगता है।
इस कोर्स को जन-कल्याण और ‘बहुजन हिताय,बहुजन सुखाय’ हित में धर्मालय द्वारा शीघ्र ही जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया गया है। उद्देश्य है कि धर्मालय की अलख जागृति से लोगों को लाभ हो और सनातन धर्म की वास्तविक कल्याणकारी स्वरुप का ज्ञान लोगों तक पहुंचे। इसमें कोई भी देवी-देवता या मंत्र नहीं है। इसे प्रत्येक धर्म – सम्प्रदाय के लोग अपना सकते हैं।
लाभ (प्रत्यक्ष) – शारीरिक – श्वांस प्रक्रिया में सशक्ता, मानसिक तनाव और मस्तिष्क से सम्बन्धित सभी दुर्बलताओं से मुक्ति , फेफड़े के विकार, रक्त के विकार, मूत्र विकार आदि से मुक्ति , दृष्टि की शक्ति में वृद्धि, आयु के समय में वृद्धि।
मानसिक – मानसिक शक्ति और तनाव से मुक्ति, मस्तिष्क का गर्म हो जाना भी रुकता है। स्मरण शक्ति की वृद्धि, आने वाली किसी दुर्घटना का पूर्व संकेत, शुभ समय का भी पूर्व संकेत।
लाभ (अप्रत्यक्ष) – शरीर के ऊर्जा चक्र में विकार रहित परिवर्तन से मानसिक, वैचारिक और निर्णय करनेकी शक्ति में क्रांतिकारी परिवर्तन होता है।इससे जीवन की परिस्थितिगत समस्याएं भी दूर होती है ।
(प्रत्येक स्त्री-पुरुष-छात्र-छात्रा-बच्चे – बूढ़े को चमत्कारिक अमृतदान देने वाला कोर्स)
सदस्यता शुल्क – 300 रु.
विशेष- ( मेन्टेनेन्स चार्ज) 1. आप हमारे यहाँ से सदस्यता फॉर्म निःशुल्क ऑनलाइन मंगा सकते है। 5 मिनट के ध्यान योग के समय प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली के अनुसार थोडा परिवर्तन होता है।
- प्रत्येक व्यक्ति सी.डी, मिलने के बाद शंका का समाधान कर सकता है, समय-समय पर कोई समस्या होने पर निर्देश प्राप्त कर सकता है।
कोर्स में क्या है –
- पीने के पानी के पात्र में तीन वस्तु, सूक्ष्म रूप में डालकर रखना।
- प्रातःकालीन पहले अल्पहार में कुछ अनाजों का सरल तंत्र विधि से प्रयोग ।
- शौच एवं स्नान के समय मानसिक भाव की सरल प्रक्रिया।
- भोजन के समय और स्सोते समय तलवों की विशेष सरल रखाव।
- 2-2 मिनट की 11 सरल तन्त्र योग की मुद्राएं; जो इतनी सरल हैं कि किसी विशेष प्रयत्न या आसन की आवश्यकता नहीं है।
- 5 मिनट का विशेष तंत्र ध्यान योग। इसमें व्यक्ति विशेष की प्रक्रिया थोड़ी बदल जाती है। विशेष कर मुद्रा और ध्यान पटल का वर्ण।
- सोते समय इतल/घृत का एक विशेष प्रयोग
अन्य बहुत सी बातों ; जिन्हें हम यहाँ स्पष्ट नहीं कर सकते। जीवन की विशेष परिस्थितियों समस्याओं से निपटने के सरल तंत्र टोटके भी।
Email – info@dharmalay.com
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namaskar Pandit ji m sadhna me sadasya banana chahta hu
online membership form is still awaited, rather information that software will take 45 more days to be developed? And advisement is still going on?
मैं संजीव कुमार पाण्डेय आपका सदस्य बनना चाहता हुँ! मैरा पता हैं ग्राम+ पोस्ट – नगरह ,थाना- नवगछिया ,जिला- भागलपुर (बिहार) 853204
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हम आपके हर विषय को ध्यान से पढ़ते और समझने की कोशिश करते है । क्योकि विषय ही काफी गूढ़ है । अपने जो सरल तंत्र विधि (वे टू लाइफ बाय तंत्र ) की अभी उद्घोषणा किये है वो भी हम प्राप्त करना चाहते है।
अपना कोर्स भेजे।मुझे सदस्य बनाए।
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कृपया मुझे इस सदस्यता अभियान में जोड़े
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आपका रिक्वेस्ट नोट कर लिया गया है. cd के सम्बन्ध में कुछ technical समस्याएं खरी हो गई हैं. बन जाने पर आपको सूचित किया जाएगा.