हम पहले बता आये हैं कि यह रसायन विज्ञान है. यह स्पष्ट कर देता है कि इसका विज्ञान क्या है. यह दूसरी बात है कि यह आधुनिक विज्ञान से बहुत आगे और दूसरे तरह का रसायन शास्त्र है. इसके नुस्खों का ज्ञान आधुनिक युग के advance अपराधियों को नहीं है, वर्ना जाने क्या गजब होता. सरकार इसे मानती ही नहीं है और दुनिया का कोई आधुनिक उपकरण इसे ट्रेस नही कर सकता. अभी तो इसमें अनपढ़ ओझा और तंत्र मन्त्र करने वालीं औरतें सक्रीय हैं. जो व्यवसाय भी करतीं हैं, पूजा पाती हैं और बहूत सीमित प्रयोग होता है. यहाँ यह जानना दिलचस्प होगा कि ऐसे बाबा, देवी या तांत्रिक, जो उछलकूद करते हैं, भयानक वेश में आँखे नाचते हैं उनका कोई महत्व नहीं होता. हवन को छोड़ कर. वह भय का सम्मोहन पैदा करने के लिए किया गया ड्रामा होता है. वह एक बताशा या लौंग या इलायची प्रयोग करेगा या ऐसी कोई छुद्र चीज और उसी में सब कहर होता है जो मायावी दुनिया में पहुचा देता है और अविश्वसनीय हालातों एवं यन्त्रणा का शिकार बना देता है .
प्रश्न उठता है कि क्या यह संभव है? यह संभव है और बहुत सी बातों को सामान्य रूप से समझने से भी ज्ञात हो जाता है. महाराष्ट्र में एक पौधा पाया जाता है. यह तंत्र के प्राचीन नुस्खों में प्रयोग होता है. ब्रिटिश काल में वैद्यों से जान कर अनेक तत्कालीन रिसर्चरों ने लिखा है. इस पौधे के रस की ५ बूँद २४ घंटे में जवान को बूढा बना देती है और यह विष नहीं है. दक्षिण भारत में एक पौधा पाया जाता है, जिसके पास से गुजने वाला बेहोश हो जाता है और होश में आने पर बेहोशी का समय उसे याद नहीं रहता. एक कैक्टस ऐसा होता है, जिसके पास दो मिनट खड़ा होने वाला २४ घंटे में मर जाता है, एक विषैला मशरूम, जिसे कुकुर मुत्ता कहा जाता है – सभी मसरूम को गोबरछात्ता या कुकुरमुत्ता ही कहा जाता है; कुछ अन्य पदार्थों के योग से जलने पर ऐसा धुआं पैदा करता है, जिसको सूंघनेवाला जो जो कल्पना करता है, उसे प्रत्यक्ष अनुभूत करता है.
तंत्र में ऐसे रसायन योगों की लाखों संख्या है, जो भूत प्रेत ब्रह्म राक्षस तक से ग्रसित कर देता है. सच में यह मायाजाल है, प्रतिकूल को अनुकूल, अनुकूल को प्रतिकूल; सपनों की दुनिया को भी सच बना देने वाला. इसमें नसों, शरीर के अंगों का भी आश्चर्य जनक विज्ञान संसार है. अजीबोगरीब मगर चमत्कारी इलाज भी, जिसे वैद्यों ने भी अपनाया है. मैं उन्हें वेब साईट पर डालना चाहता हूँ मगर हमारे पास इस सबको तेजी से करने के साधन नहीं हैं.
[क्रमशः]
आधुनिक विज्ञान अभी शैशव अवस्था में है । सनातन संस्कृति लाखों वर्ष से है । क्वान्टम फिजिक्स और जापानी वैज्ञानिक इमेटो के पानी पर मालीक्यूल लेवल फोटोग्राफी ने सनातन धर्म की बात की पुष्टि की है ।
महोदय आप वाटसप पर एक ग्रुप बना ले औऱ मुझे ऐड करे
जल्द ही इस सम्बंध में आपको सूचित किया जायेगा.
मैंने आज आपका दूसरा लेख पड़ा है , वैसे कुछ न कुछ आपकी साइट से पड़ती हु रहती हूँ, ऐसी ही कुछ किबकरै चीजों के अनुभव मुझे अपनी जिंदगी से माइक हैं , और पर्भु नाम की शक्ति से मुझे ये सब दिखाई दे जाती हैं , या आभास देती हौं , किन्तु आपके इन क्रियाओं के विश्लेषण का ढंग बहुत रोचक और ज्ञान पूर्ण और भरम मिटने वाला है, ऐसी ही कुछ परेशानियां मुझे भी हैं , जिनके लिए आपके लेख पड़ने के बाद कुछ सवाल मन में उठ रहे हैं , जिनके जवाब निश्चित ही आप दे सकेंगे , कृपया आपसे संपर्क का संभव साधन देने की क्रिया करें ।
आप info@dharmalay.com पर मेल कर सकते हैं. कृप्या प्रश्न छोटा रखें क्योंकि समय का अभाव रहता है.
Aapko meditation me practical kya feel hua?
yh har stege per alag alag hota haii. hamari filing se aapko kya ? sabki filining bhee ek jasi nahi hpti sabka urja cakr bhinn bhinn hota hai .
Aapke pas purani pramanit rasayanik jari buti ki book mil sakti h?
Aaka aasharm kaha h?
धमाॆलय में संस्थापक का परिचय देखें .जहाँ मेरा घर है .
मैं पुस्तक विक्रेता नहीं ह.